दिखावे ही को है म्याने बस, तलवार नही है,
कुछ एक है भी तो उनमे भी धार नही है,
चाक-चौबंद जो अपने हथियार रखते हैं,
वो बुजदिल जंग लड़ने को तैयार नही है,
अरसे बाद पिंजरा अगर खुला तो क्या खुला,
परिंदा ही अब उड़ने का तलबगार नही है,
फ़िकराकशी का मौजू और हूँ लुत्फ़ का सामान,
हस्ती मेरी नाकाम सही बेकार नही है,
तुझे पाने की तमन्ना गर गुनाह है कोई,
तो कहो महफ़िल मे कौन गुनहगार नही है,
उसी के दर पे मिलेगा, जाओ तलाश लो,
कई दिनों से महफ़िल मे "बेकरार" नही है
कुछ एक है भी तो उनमे भी धार नही है,
चाक-चौबंद जो अपने हथियार रखते हैं,
वो बुजदिल जंग लड़ने को तैयार नही है,
अरसे बाद पिंजरा अगर खुला तो क्या खुला,
परिंदा ही अब उड़ने का तलबगार नही है,
फ़िकराकशी का मौजू और हूँ लुत्फ़ का सामान,
हस्ती मेरी नाकाम सही बेकार नही है,
तुझे पाने की तमन्ना गर गुनाह है कोई,
तो कहो महफ़िल मे कौन गुनहगार नही है,
उसी के दर पे मिलेगा, जाओ तलाश लो,
कई दिनों से महफ़िल मे "बेकरार" नही है