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Wednesday, January 12, 2011

मेरा नाम, तेरे लब पे, आता तो है

वो खुश है, वो ऐसा जताता तो है,
वो महफ़िल मे सबको हँसता तो है,
हँसी मेरे हिस्से मे आए ना आए,
मुझे कम से कम वो, रुलाता तो है,

वो गैरों की महफ़िल सजाता तो है,
वो महफ़िल मे पीता-पिलाता तो है,
जाम मेरे हिस्से मे, आए ना आए,
ज़हर अपने हिस्से मे आता तो है,

वो महफ़िल मे सबको लुभता तो है,
जमाने से मिलता-मिलता तो है,
वो दर पे मेरे और आए ना आए,
ख्वाबों मे आके जलाता तो है,

मेरी बेवफ़ाई के झूठे ये किस्से,
जमाने मे सबको सुनाता तो है,
मे खुश हूँ के अब तक तेरी महफ़िलों मे
मेरा नाम, तेरे लब पे, आता तो है

Tuesday, January 11, 2011

वक़्त ने तार-तार किए

वक़्त ने तार-तार किए,  आज चेहरे पे नक़ाब नही
तुम्हारे पास सवाल कई, मेरे पास जवाब नही,


इल्ज़ाम तेरे सर-आँखों पर, हर लानत मुझे कबूल 
तसलीम मेरे गुनाहों की, पर तू भी पाक-सॉफ नही,


दावे मुझे समझने के सब, आख़िर झूठे ही निकले,
थोड़ा पेचीदा हूँ मे, कोई खुली किताब नही,


तन्हाई मे समझ सको, जब मेरे बारे मे सोचो
जितना तूने समझा है मे उतना भी खराब नही


बाहर से परखोगे तो खंड-हर सा मुझको पाओगे 
मे अधूरी इमारत सा हूँ, जिस पर कोई मेहराब नही


हौसले की दाद भला, कैसे ना देता “बेकरार”
आज कही सब सच्ची बातें, और हाथ मे शराब नही

Wednesday, January 5, 2011

मीठी मीठी बातों का वो दौर गया

मीठी मीठी बातों का वो दौर गया,
जवानी के आते ही, बचपन छोड़ गया


ताज्जुब है इतने कच्चे थे एहसासों के रिश्ते,
गमों का हल्का सा झोंका ही, उन्हे तोड़ गया,


कहता है जमाना, मेरी दीवानगी को देख-कर,
फरेब-ए-इश्क़ मे लोगों, लो ये एक और गया,


बिल्डिंगो के फ्लॅट मे, कंप्यूटर ने छीन लिया,
मोहल्ले के हुड़दंगी बच्चों का वो शोर गया,


तल्खियाँ और तंज़ अब रोज़ की बातें हैं,
मीठी मीठी बातों का वो दौर गया