ये प्यार मोहब्बत, ये इश्क़ों के किस्से,
ये झूठी कहानी, वफ़ाओं के क़िस्से,
बिना दिल को समझे, दिल की ये बातें,
बिना गम को जाने, गमख्वारी के किस्से,
खुद ही की बेवफ़ाई, और तोहमत किसी पे,
ये फिरकापरस्ती के बोझिल से किस्से,
ख़यालों की दुनिया मे जो तुमने बसाए,
उन वीरान मकानो, के टूटे ये हिस्से,
मेरे आँसू-ओं को जो कहते हो झूठा,
तो क्यूँ बने जाते हो, इसी दरिया के हिस्से
खुले दिल से मानो, के तुम भी ग़लत हो,
बिछड़े हुए दिल, मिलेंगे तो फिरसे,
थामा है हाथ मेरा, तो कह दो सभी को
क्यूँ छिपाते हो सच को, दुनिया के डर से,
करो बदज़बानी, मगर सोच लेना,
कभी तुम भी होगे, “बुढ़ापे” के हिस्से
बड़ी मुश्किलों से, पढ़ाया है तुमको,
अब बनो तुम भी उनकी, खुशियों के किस्से
सताओ उसे, चाहे घर से निकालो,
तेरे बच्चे भी है, उसी मा के हिस्से
दुनिया से छुपा लोगे, अपनी ये कमियाँ,
क्या खुद ही से तुम, निकल पाओगे बच के
जो तुझको मिला है, बड़ा कीमती है,
ना खोना इसे झूठी, मर्दानगी के डर से,