वो खुश है, वो ऐसा जताता तो है,
वो महफ़िल मे सबको हँसता तो है,
हँसी मेरे हिस्से मे आए ना आए,
मुझे कम से कम वो, रुलाता तो है,
वो गैरों की महफ़िल सजाता तो है,
वो महफ़िल मे पीता-पिलाता तो है,
जाम मेरे हिस्से मे, आए ना आए,
ज़हर अपने हिस्से मे आता तो है,
वो महफ़िल मे सबको लुभता तो है,
जमाने से मिलता-मिलता तो है,
वो दर पे मेरे और आए ना आए,
ख्वाबों मे आके जलाता तो है,
मेरी बेवफ़ाई के झूठे ये किस्से,
जमाने मे सबको सुनाता तो है,
मे खुश हूँ के अब तक तेरी महफ़िलों मे
मेरा नाम, तेरे लब पे, आता तो है
प्रिय,
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