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Thursday, June 2, 2011

रिश्ते

ममता मे पलते हैं, रिश्ते हिमायत के,
औलाद से हैं बाप के रिश्ते हिफ़ाज़त के

तोड़ने से पहले महज इतना ख़याल हो
मुश्किल से बनते हैं रिश्ते मुहब्बत के

भरोसे की कच्ची डोर से बँधे हुए हैं ये
सहेज कर रखना ये रिश्ते नफ़ासत के,

खत मे तुझे “मेरी जान” हर बार लिख  दिया
काग़ज़ पे ही लिखना है, रिश्ते लिखावट के,

मिलने आया है कोई,  कहीं कुछ माँग ही ना ले
मूफलिसो से माने जाते हैं  रिश्ते मुसीबत के

मिलना ही होगा, भले मर्ज़ी नही अपनी
जबरन निभाए जाते हैं,  रिश्ते बनावट के,

रुतबे वालों से हो चाहे, नाम का रिश्ता
खुलकर जताए जाते हैं, रिश्ते दिखावट के,

अभी हैं और भी रिश्ते, रिश्ते बग़ावत के,
कहीं रिश्ते खिलाफत के, कभी रिश्ते सजावट के

1 comment:

  1. रुतबे वालों से हो चाहे, नाम का रिश्ता
    खुलकर जताए जाते हैं, रिश्ते दिखावट के,

    -सही कहा!!

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