बिन धागे के फूलों का बिखरना लाजिमी था,
राहों मे गिरे तो फिर कुचलना लाजिमी था
मुश्किल मे मदद का मुझे हाथ ना मिला,
खुद आप ही मेरा, संभलना लाजिमी था
हर वक़्त जो मुस्कान को होठों पे रखता है
उस शख्स का तन्हाई मे सिसकना लाज़िमी था,
हर रोज दिखाए जाते थे ढेर दौलत के,
चिकनी थी मिट्टी, वहाँ फिसलना लाजिमी था,
मासूम है औकात का गुमान नही है,
चाँद के लिए बच्चे का मचलना लाजिमी था,
राहों मे गिरे तो फिर कुचलना लाजिमी था
मुश्किल मे मदद का मुझे हाथ ना मिला,
खुद आप ही मेरा, संभलना लाजिमी था
हर वक़्त जो मुस्कान को होठों पे रखता है
उस शख्स का तन्हाई मे सिसकना लाज़िमी था,
हर रोज दिखाए जाते थे ढेर दौलत के,
चिकनी थी मिट्टी, वहाँ फिसलना लाजिमी था,
मासूम है औकात का गुमान नही है,
चाँद के लिए बच्चे का मचलना लाजिमी था,
बिन धागे के फूलों का बिखरना लाजिमी था,
ReplyDeleteराहों मे गिरे तो फिर कुचलना लाजिमी था
-सुन्दर!!