लम्हों मे ही कटती रही बरसों ये जिंदगी,
राहों मे भटकता रहा, मंज़िल ना पा सका,
हर राह पे ठिठकती रही बरसों ये जिंदगी,
मरता रहा हर दिन मे जीने की आस मे,
हाथों से फिसलती रही, बरसों ये जिंदगी,
खुशियो को ढूँढ-ढूँढ के हंसता रहा हूँ मे
हर धुन पे थिरकती रही,बरसों ये जिंदगी,
थपेड़ों से ज़िदगी के किनारे पे आ गई,
मछली सी तड़पती रही, बरसों ये जिंदगी,
रिश्तों को सींचता रहा ता-उम्र बेकरार,
और शोलों सी धधक-ती रही बरसों ये जिंदगी
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