ख़याली बातों से इश्क़ की आज़माइश ना करो,
नामुमकिन है, चाँद सितारों की फरमाइश ना करो,
मिलो तो फिर यूँ टूट के मिलो हमसे की,
दरमियाँ फिर हवाओं की भी गुंजाइश ना करो,
कम्बख्त आँसू हैं के रुकने का नाम नही लेते,
वो कहते हैं सर-ए-आम, दर्द की नुमाइश ना करो,
जात-पात, दीनो-धरम सिख़ाओ तो "बेकरार"
पर नफ़रतों की नस्ल की पैदाइश ना करो
No comments:
Post a Comment