बहूत कर चुका हूँ मे, लबो-रुखसार की बातें,
पलकों की चिलमन की, तेरे दीदार की बातें,
तेरी कम्बख़्त नज़रों के तीरो तलवार की बातें,
गुलशन चमन की फूलों की बहार की बातें
चलो आज करते हैं कुछ घर-संसार की बातें,
बूढ़े बाप की चर्चा, उस बीमार की बातें,
मा के आँचल से बहती रूहानी बयार की बातें
उन बहनो की यादें, उनके दुलार की बातें,
तुम्हारे रुखसार से जाते गुलाबी खुमार की बातें,
हक़ीकत से मुँह चुराते तुम्हारे प्यार की बातें,
चलो मे बंद करता हूँ फिर ये बेकार सी बातें,
लो फिर से करने लगा हूँ मे, झूठे प्यार की बातें,
तेरी कम्बख़्त नज़रों के तीरो तलवार की बातें,
गुलशन चमन की फूलों की बहार की बातें........
सच को कहती रचना ...
ReplyDeleteस्वप्न के बदले यथार्थ की ओर देखने का संदेश ...अच्छी गज़ल
ReplyDelete